रविवार, 26 सितंबर 2010

हर बार छल कर भी कभी, छलती नही है जिन्दगी,


जिन्दगी की बात भी,
ये जिन्दगी ही जानती,
जिन्दगी का कहना सूना,
ये जिन्दगी ही मानती,
सौ बार मर कर भी इसे,
सौ बार जीने की है जिद,
जिस जहर से जीवन मिटे,
वो जहर पीने की है जिद,
अपने पद चिन्हों पर सदा,
चलती नही है जिन्दगी,
हर बार छल कर भी कभी,
छलती नही है जिन्दगी,

अच्छे नही बद भी नही,
ये जिन्दगी के रास्ते,
गम देकर ख़ुशी लिए खड़ी,
ये जिन्दगी तेरे वास्ते,
सामना तेरा कराया,
मौत से सौ बार इसने,
फूल सारे छीन कर,
भर दिए बस खार इसने,
नित नये गुल ढूढने फिर,
निकलती है जिन्दगी,
हर बार नया जीवन जीने,
मचलती है जिन्दगी

1 टिप्पणी:

  1. जिन्दगी की बात भी,
    ये जिन्दगी ही जानती,
    जिन्दगी का कहना सूना,
    ये जिन्दगी ही मानती,
    सौ बार मर कर भी इसे,
    सौ बार जीने की है जिद,
    जिस जहर से जीवन मिटे,
    वो जहर पीने की है जिद,
    अपने पद चिन्हों पर सदा,
    चलती नही है जिन्दगी

    bilkul sahi kaha aapne...........

    जो हम सोंचते हैं वो आसान नहीं,
    ज़िन्दगी अपने शर्तों पर ज़ीने का नाम नहीं.

    जवाब देंहटाएं